बार्षिक लेखन प्रतियोगिता चाय की टपरी
आज के युग चाय का युग कहनी अतिशयोक्ति नही होगी। चाय का प्रचलन एसा होचुका है आप कही भी जाओ यदि चाय की न पूछै तो कहते है कि उसने एक कप चाय भी नही पिलाई।
आजकल चाय की टपरी हर नुक्कड़ पर मिलजाती है।और वहाँ पर बैठे चार पाँच लोग किसीन किसी बात पर बहस करते मिल जायेगे।।
हमारे प्रधानमन्त्री जी ने भी प ले चाय बेची है । यदि चाय पर चर्चा हो और हमारे प्रधानमन्त्री जी का नाम न आये ऐसा हो ही नही सकता है। उनको चाय वाला प्रधानमन्त्री भी कहा जाता है।
हमारे प्रधानमन्त्री जी अभी चुनाव प्रचार के लिए जब काशी गये तब वह एक चाय की दुकान पर पहुँच गये।और वहाँ भी चाय फर चर्चाँ हौने लगी।
भारत में चाय चलन बढ़ता ही जारहा है अब ग्रामीण लोग भी इससे अछूते नही हैं। गा़व की गली मुहल्ले के नुक्कडौ़ पर भी चाय की टपरी मिलजाती है।
आजकल चाय पीना भी एक शौक बन गया है जैसे आप चाय नही पीते तो आप पुराने खयालौ के इन्सान है। आजकल चाय की टपरी पर चुनाव की चर्चा हौना आम रिवाज है।
एक चाय चाय के ढाबे पर पीजाय और एक चाय पाँच सितारा होटल में पीजाय तो ढाबे की चाय सस्ती व बढि़या होगी।
जिन लोगौ को डाइबिटीज है वह भी चाय अवश्य पीते भले ही बिना चीनी की चाय पीनी पडे़ वह चाय अवश्य
Sona shayari
07-Jun-2022 09:39 AM
Bahut khub
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Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 05:32 PM
सुंंदर रचना लेकिन मुझे अधूरी सी लग रही है
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Gunjan Kamal
09-Mar-2022 01:46 PM
बिल्कुल सही कहा आपने आदरणीय👏👌🙏🏻
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Naresh Sharma "Pachauri"
09-Mar-2022 04:03 PM
धन्यवादजी
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